
जब ईज्जत हो तार-तार
खामोशी ही बन जाए दीवार
जब बेवसी रही होगी पुकार
तब मैं बोलूंगा...!
जब हो दुराचार ,
जब बढ़ जाए अत्याचार,
जब न मिल पाए इन सबका उपचार
तब मैं बोलूंगा..!
जब इंसा हो संकट में
भले ही कांटे क्यों न हो पथ में
तब धर्म की जंजीरे तोडूंगा
तब मैं बोलूंगा...!
अगर फिर कहीं ख़ामोशी छा जाए
इंसा, इंसा से घबरा जाए
तब मैं खुद के अंदर के इंसा को टटोलूंगा
तब मैं फिर बोलूंगा...
~विक्की कुमार गुप्ता
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