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Tuesday 22 May 2018

कर्फ्यू

  अपनी प्राकृतिक और नैसर्गिक सुंदरता के लिए मशहूर शहर, कश्मीर। चाहे वह डल झील के किनारे तैरते हुए की रंगीन खूबसूरत शिकारों की कतारें हो या फिर लाल चौक पर सजी दुकानें, सभी कश्मीर की खूबसूरत वादियों से झांकती हुई शाम के साथ मर्दन करती हुई सभी को अपनी ओर खींचते हैं। कश्मीर बर्फ की सफेद चादर से ढका हुआ सभी को अपने अंदर समेटता शहर है। कश्मीर जिसमें शांति एवं अमन का एहसास होता है। जिसकी हर राहें लोगों को प्रकृति के अपनेपन का एहसास कराती हैं। इसकी वजह हमारी मान्यता है या फिर वहां की प्राकृतिक सुंदरता इसका अनुमान लगाना कठिन है।
    सर्दी अपने चरम पर थी और उसके ऊपर से बर्फीली हवाएं सर्दी के शुष्कपन को हवा दे रही थी। मैं होटल के बिस्तर पर कश्मीर के सपने देखता हुए गर्म लिहाफ़ में सिर से पाँव तक ढका हुआ अपने मन को बाहर निकलने के लिये मनाने की जद्दोज़हतम् लगा हुआ था। और बिस्तर भी मुझे किसी दिलचस्प हमसफर की तरह सुकून के आगोश में जकड़े हुए था और उस सुकून की ख़ुमारी मुझे उससे दूर नहीं जाने दे रही थी। मगर कश्मीर की बर्फ़ीली वादियों में चारोंओर फैली हुई सुंदरता के जादू ने बिस्तर के प्रेम को धराशायी करते हुए मुझे बिस्तर के मोहपाश से मुक्त करा दिया और बिस्तर से उतरते ही मैं खिड़की की ओर दौड़ा चला गया। कश्मीर की हसीं वादियां मुझे जन्नत की मौजूदगी का एहसास करा रही थी। आखिर में निकल पड़ा प्रकृति की इस बेहतरीन कारीगरी को और नज़दीक से देखने जिसकी बनावट के संदर्भ में अद्भुत एवं अकल्पनीय बातें सुन रखी थी। जब ये अद्भुत और अकल्पनीय बातें हक़ीक़त के कागज़ पर लिखी गयी तो वास्तविकता 24 कैरेट के सोने जितनी खरी थी। मुझे प्रकृति की गोद में ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो वर्षों से बिछड़ा बचपन अपनी ममता की गोद में आकर उम्रभर के लिए थम जाना चाहता हो।
       सफर का पहला पड़ाव था, कश्मीर के केंद्र में स्थित लाल चौक। कश्मीर की भीड़ से भरा वो इलाका जो आराम और चैन को गोद में रख कर  चहल-पहल से भरा पड़ा था। घण्टाघरनुमा टॉवर और उसके आस पास बेहद खूबसूरत ढालदार छत वाली दुकानें, और पड़ी हुई 4-5 छतनुमा बेंच बाज़ार की चौकसी कर रही थीं। दुकानों के आसपास बच्चे खेल रहे थे। उन्हीं में से एक पर मेरी नजर टिक सी गई। उत्साह से भरा हुआ, तमाम चिंताओं से दूर, स्वयं में डूबा हुआ। मैं उससे बात करना चाहता था। लिहाज़ा उसको अपने पास बुलाकर मैंने उससे पूछा,“ तुम्हारा नाम क्या है?” उसके बिना किसी डर के मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “राशिद”। मैं उसके बारे में और जानना चाहता था। मगर मेरे अगले सवाल पूछे जाने से पहले ही वह वहां से बच निकला, और पुन: अपने दोस्तों के बीच खेलने में व्यस्त हो गया। शायद अब मैं उसके वहां से बच निकलने का कारण समझ सकता था। दुकानों से गुजरते वक्त एक शॉल ने मेरा मन मोह लिया मैंने शॉल की ऐसी कारीगरी पहले कभी नही देखी थी। मैं उसे अपनी मां  के लिए खरीदना चाहता था। लिहाज़ा मैं उसका दाम पूछने दुकान के अंदर चला गया, और मैंने दुकानदार से उस शॉल का रेट पूछा उसने उसकी कीमत ₹4000 बताई। मुझे यह काफी ज्यादा लगे, अतः मैं  वहां से लौटने लगा तभी दुकानदार ने कहा, “ सर ! प्योर कश्मीर की  कढ़ाई है, बड़े महीन हाथों का इस्तेमाल किया जाता है इसमें। अब नहीं लिया तो जरूर पछताओगे।” मैं उसकी सभी बातों को नजरअंदाज करता हुआ आगे निकल पड़ा, अपने सफ़र के अगले पड़ाव की ओर जो था। इसे कश्मीर यात्रा का सबसे खूबसूरत पड़ाव कहते हैं। डल झील। झील के बीचो-बीच हाउसबोट में सवार होकर शाम गुजारना कश्मीर के अंदर प्रवेश करने वाले हर एक पर्यटक की इच्छा होती है। डल झील के बीचो-बीच से कश्मीर को देखना स्वर्ग का एहसास करा रहा था। वह सफेद पर्वतों में डूबता हुआ लाल-नारंगी सूरज कश्मीर को अपनी एक एक किरणों से सुनहरा स्पर्श प्रदान करता हुआ अपने परममित्र चन्द्रमा का अवाहन कर रहा था। जिसमें कश्मीर का अमन, प्रेम ,भाईचारे का संदेश छुपा था। बस जरूरत थी तो उसको महसूस करने की। सांझ धीरे धीरे अपना स्लेटी चादर ओढ़ने लगी थी जो संकेत था की अपने सफ़र को स्थगित कर होटल लौटने का वक़्त हो गया है।
   मैं होटल लौटते वक़्त दिन भर की खूबसूरत थकान लिए हुए था और अब उन्ही खूबसूरत यादों के सपनों में खो जाना चाहता था सो होटल के कमरे में दाखिल होते ही मैं बिस्तर पर लेट गया। कश्मीर की सुंदरता में मैं इतना डूबा हुआ था कि आंख कब लगी इसका पता ही नहीं चला। अचानक गोलियों की कर्कश ध्वनि
कानों में चुभन पैदा करने लगी, मैं अचानक उठा और समझने का प्रयास करने लगा गोलियों की आवाज किधर से आ रही है? कुछ और समझ पाता इससे पहले ही गोलियों की आवाज और तेज हो गई, अब कुछ भयानक आवाजें भी सुनाई देने लगी, यह आवाजें शायद बमबारी की थी। मै ऊपर से नीचे तक कांप रहा था। मैं वहां से निकलना चाहता था, जैसे-तैसे मैंने अपने आप को संभाला और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा...नीचे पहूंचते ही होटल स्टाफ से पूछने का प्रयास करने लगा कि क्या हुआ है? सभी काफी डरे हुए थे। एक ने मेरे सवाल का दबे स्वर में जवाब दिया,“ आतंकवादी हमला साहब जी” होटल के सभी पर्यटक रिसेप्शन पर जमा हो चुके थे। सभी के डर का अनुमान उनके चेहरों से लगाया जा सकता था। कुछ घंटों बाद गोलियों की आवाज थम सी गई अब सभी पर्यटक अपने कमरे में लौटने लगे थे। मैं भी अपने कमरे में वापस आ चुका था। मगर एक अजीब सी बेचैनी मुझे घेरे हुए थी, जिससे सो पाना कठिन हो गया था। अपने तमाम डरों पर काबू पाने के बाद मै सोने का प्रयास करने लगा ,मगर जैसे ही आंख लगने वाली होती वैसे ही गोलियों की आवाज कानों में गूंज उठती। अब बस इंतजार था तो सुबह होने का जब यह पता चलेगा कि वाकई में हुआ क्या था?
   आज सुबह हुई तो मगर आज कश्मीर के वातावरण में कुछ परिवर्तन सा लग रहा था। आज इस प्रकृति में उतनी जान नजर नहीं आ रही थी जो मुझे बिस्तर से अपनी ओर खींच ले। अब यह जानने की इच्छा प्रबल हो गई कि आज इतना परिवर्तन क्यों? तो अखबार से पता चला कि कल रात हुए आतंकी हमले में सेना के 10 जवान शहीद हो गए हैं तथा 3 आम नागरिक भी उसी हमले में मारे गए हैं। आतंकी अभी भी शहर में छुपे हुए हैं। जिसके कारण पूरे शहर में अगले 2 दिनों के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। एहतियातन स्कूल-कॉलेजों को भी बंद रखा गया था। कर्फ्यू में ढील दिए जाने के बाद ,अब जब मैं सड़कों पर घूमने निकला तो मुझे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ,कि एक रात में कश्मीर इतना ज्यादा बदल चुका था। किसी को भी इस बात का एहसास तक नहीं होगा कि एक रात में इतना बदल जाएगा कश्मीर। सड़कें वीरान पड़ी थी, जगह- जगह जवानों ने नाकाबंदी कर रखी थी। जो एहसास करा रहा था कि कल रात की घटना कितनी भयावह रही होगी। जिसके कारण हँसता-खेलता शहर मायूसी की गर्त में समा चुका था।
  आज सड़कों के किनारे बच्चे भी नहीं खेल रहे थे, वह भी बच्चा नहीं जो शायद कल तक तमाम चिंताओं से दूर था, इस कर्फ्यू ने उसे भी शायद चिंतित कर दिया होगा। दुकाने बंद पड़ी थी। वह भी दुकान जिससे कल मैं शॉल खरीदने गया था। दुकान के सामने खड़े होते ही मुझे उस दुकानदार द्वारा कल कहीं गई बात याद आ गई, जब उसने कहा था “अब नहीं लिया तो जरूर पछताओगे” वाकई में उसने सच कहा था।
  इस कर्फ्यू ने एक जीवित शहर को मार डाला था। जिसमें कर्फ्यू के बाद ना ही किसी प्रकार की रौनक नजर आ रही थी और ना ही किसी प्रकार का प्राकृतिक सौंदर्य। अब यह शहर केवल एक जमीन का टुकड़ा मात्र रह गया था। जिसमें कर्फ्यू के बाद वहां की सुंदरता को दफना दिया गया था। कश्मीर एक जीता जागता शहर आज इतना खामोश क्यों पड़ा था? इसका जवाब था ‛कश्मीर का कर्फ्यू’।

  कश्मीर मे बढते आतंकवादी हमलों को लेकर किसी ने लिखा है-
देख रहे हो लहू को ठहरी हुई झील में,
जाने क्या हो गया है इस स्वर्ग से कश्मीर मे,
बर्फ की जन्नत सी हसीं वादियों की कुटीर में,
दब कर रह गयी खुशियां केवल इतिहास की तस्वीर में।

~विक्की कुमार गुप्ता


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