Translate

Sunday, 4 March 2018

समीकरण


अपनों के अर्चन से
बदलते समाजिक दर्पण से
बेईमानो की टोली से
राजनीति की बोली से
ऐसे बदलते हैं समीकरण...

कुर्सी की लड़ाई से
सेवा की मलाई से
जाति की वोट से
और धार्मिक चोट से
क्यों बदलते हैं समीकरण...?

किसी अनचाहे तकरार से
अहम की दीवार से
किसी अनजाने प्यार से
अपनों की धुतकार से
बदल जाते हैं समीकरण...

सत्ता के गलियारों से
घर की दीवारों से
वादों के इनकार से
और हमारी हार से
बदल ही जाते ये समीकरण...

No comments:

Post a Comment

Featured post

मै बोलूंगा

जब ईज्जत हो तार-तार खामोशी ही बन जाए दीवार जब बेवसी रही होगी पुकार तब मैं बोलूंगा...! जब हो दुराचार , जब बढ़ जाए अत्याचार, जब न मिल ...